साईं से मेरा रिश्ता

बात उन दिनों की है जब शायद मैं दस या ग्यारह  साल की थी ,स्कूल आते जाते एक विडियो गेम की दुकान हुवा करती थी और वहाँ मेरे साई की एक तस्वीर लगी थी जिसके ऊपर लिखा था श्रद्धा सबूरी ,उस वक़्त मुझे नहीं पता था की ये कौन है किन्तु आते जाते हमेशा उस तस्वीर पर नजर पड़ना और उस पर लिखा श्रद्धा सबूरी मैं जरूर पड़ती ,ये सिलसिला कुछ साल चलता रहा ,एक दिन हमारा टेबल टैनिस का मैच था मैं अपनी सहेली को लेन उसके घर गई तो उनके टीवी पर मेरे साई की पिक्चर चल रही थी अब मुझ अज्ञानी को क्या पता बस अज्ञानता वश अपनी सहेली से पूछ लिया की ये आदमी कौन है जो बिख मांग रहा है और इसकी तस्वीर वहां दूकान पर भी लगी है ,साई छमा प्रार्थी हूँ की मैंने अज्ञानता वश इन शब्दों का प्रयोग आपके लिए किया | उस दिन पहली बार मैंने अपनी सहेली से अपने साई का नाम सुना उसने कहा ये साई बाबा है ,उस वक़्त साई नाम से मेरा परिचय हुआ ,उसके कुछ दिन पश्चात उसी सहेली के पड़ोस में रहने वाली एक स्त्री को मेरे साई का साक्षात्कार हुवा ये बात भी मुझे मेरी उसी सहेली ने बताई और मुझे पूछा की क्या तू चलेगी और मैं भी तुरंत उसके साथ उनके घर चली गई ,आज हम उनको साई माँ के नाम से बुलाते हैं जो मेरे साई ने उनको नाम दिया ,माँ के दर्शन तो उस दिन नहीं हो पाए थे किन्तु जिस तस्वीर से माँ को दर्शन हुवे थे उस तस्वीर के दर्शन हो गए थे ,बस फिर कुछ बात आई गई हो गई ,महीनो बीत गए हमारे यहाँ एक व्यक्ति अठारा सालो से काम करता था अचानक वो कहीं चला गया और मेरी मम्मी उसके बारे मैं जानने के लिए एक मज़ीद के मुल्ला जी के पास गई ,क्योंकि वो इन सब चीज़ो पर बड़ा विश्वास करती थी ,मुल्लाजी कहने लगे की पिक्चर पैलेस मैं एक स्त्री है जो इस तरह की बाते बताती हैं ,अब मेरी मम्मी कहने  लगी की मुल्लाजी मैं तो नहीं  जानती अचानक मेरे मुहं से निकला की मैं जानती हूँ की उनका घर कहाँ है ,मेरी मम्मी ने सवाल किया की तुम कैसे जानती हो तो मैंने उन्हें पूरी बात बताई ,तभी हमारे पड़ोस की एक आंटी जिन्हे हम पंजाबन आंटी कहते थे उन्होंने साई माँ की शरण में जाना शुरू कर दिया था मेरी मम्मी भी एक बार उनके साथ क्या गई बस फिर तो वहीँ की हो गई और बस तब क्या था फिर मेरे साई ने मुझे भी अपने प्रेम की डोर से बाँध लिया और ऐसा बाँधा की बस अब तो जन्मो जन्मो का रिश्ता हो चला है |                                                                                                                                                                                  

 साई ने हमेशा मुझे मेरी औकात से बढ़ कर दिया ,मुझ मुर्ख अज्ञानी को मेरी साई माँ की शरण दी,मुझे अपने प्रेम के काबिल समझा ,बस हाथ जोड़ विनती है साई की आप मुझे कभी न बिसरना हर सांस भी देना, तो तभी'  अगर मैं आपका स्मरण कर पाऊं  ,सारी दुनिया ठुकरा दें बाबा पर आप हमेशा मुझे और मेरे पूरे परिवार को अपने चरणों से बांदे रखना | छमा चाहती हूँ अपनी हर मूर्खता के लिए जो जाने अनजाने मैंने की हो | 


    

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